Abhay Singh, who went viral in Maha Kumbh, is in the news these days. After studying from IIT and working in a job of 36 lakhs in Canada, he chose the path of spirituality at a young age. However, he is not the only IITian who adopted the life of a saint after studying from IIT.
महाकुंभ का पावन पर्व चल रहा है। रोज लाखों की संख्या में श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए प्रयागराज पहुंच रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी साधु-संतों के वीडियो खूब वायरल हो रहे हैं। तमाम बाबाओं ने इस महाकुंभ में अपनी पहचान बनाई है। इन सबसे ऊपर IITian बाबा अभय सिंह की चर्चा चारों तरफ हो रही है। मीडिया और कंटेंट क्रिएटर्स पूरे दिन अभय सिंह के चारों ओर घूमते दिखाई दे रहे हैं।
अभय सिंह ही नहीं बल्कि IIT से पढ़ने के बाद कई लोगों ने संन्यासी जीवन अपना लिया
IIT बॉम्बे से पास आउट अभय सिंह ने इस महाकुंभ में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। उनकी चर्चा की वजह ये है कि उन्होंने IIT Bombay से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की फिर कनाडा में 36 लाख रुपए के पैकेज पर जॉब भी की। जिंदगी में इतना सब कुछ हासिल करने के बाद भी उन्होंने अपना सब कुछ छोड़कर अध्यात्म की राह चुनी। लेकिन क्या आपको पता है कि हमारे देश में IIT से पढ़कर संन्यास लेने वाले सिर्फ अभय सिंह ही नहीं बल्कि कई अन्य लोग भी हैं। जिन्होंने IIT से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद अध्यात्म के मार्ग पर चलना शुरू कर दिया। आइए आज हम आपको ऐसे ही कुछ लोगों के बारे में बताते हैं। जिन्होंने IIT से पास आउट होने के बाद संन्यास ले लिया। इसमें IIT Bombay से पास आउट होने वाले लोगों की तदाद कुछ ज्यादा ही है।
अभय सिंह
पहला नाम अभय सिंह खुद हैं। जिन्होंने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में बाबा बन गए। फिलहाल महाकुंभ के दौरान इन्हें पूरे देश में पहचान मिली।
गौरांग दास
दूसरा नाम है, गौरांग दास प्रभु का, जो इस वक्त इस्कॉन से जुड़े हुए हैं। इस्कॉन में वे शासी निकाय आयुक्त के रूप में कार्य करते हैं। गौरांग दास प्रभु जी भी IIT Bombay के पास आउट हैं। उन्होंने IIT Bombay से B.tech की डिग्री हासिल की है।
स्वामी मुकुन्दानन्द
तीसरा नाम है, स्वामी मुकुन्दानन्द जी का, जो एक प्रसिद्ध भक्ति योग संत हैं। स्वामी मुकुन्दानन्द जी आध्यात्मिक एवं योग शिक्षक और जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज के वरिष्ठ शिष्य हैं। वे “जे के योग” नामक योग प्रणाली के संस्थापक भी हैं। स्वामीजी ने IIT Delhi से इंजीनियरिंग और IIM से मैनेजमेंट की डिग्री प्राप्त की है।
मधु पंडित दास
अगला नाम मधु पंडित दास जी का है। जिन्होंने IIT बॉम्बे से अपनी पढ़ाई पूरी की है। फिलहाल वे इस्कॉन बेंगलुरु के अध्यक्ष हैं।
खुर्शेद बाटलीवाला
खुर्शेद बाटलीवाला भी इस लिस्ट में शामिल हैं। जिन्होंने IIT Bombay से अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। इस वक्त वे Art Of Living नामक संस्थान से जुड़े हुए हैं।
महान MJ
महान MJ भी एक ऐसे संत हैं जिन्होंने IIT कानपुर से मैथ्स में डिग्री हासिल की है। शुरू में उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग को अपने करियर के लिए चुना था। लेकिन बाद में उन्होंने मैथ्स ले लिया। महान MJ वर्तमान में मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में गणित के प्रोफेसर हैं। महान MJ का नाम स्वामी विद्यानाथनंद भी है।
अचार्य प्रशांत
अचार्य प्रशांत भी एक ऐसा नाम है जिन्होंने IIT Delhi से टेक्सटाइल इंजीनियरिंग और IIM अहमदाबाद से मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। इसके अलावा उन्होंने कुछ समय के लिए भारतीय सिविल सेवा के लिए भी काम किया है। फिलहाल वे अद्वैत फाउंडेशन नामक एक गैर-लाभकारी संगठन के संस्थापक हैं। अचार्य प्रशांत का नाम प्रशांत त्रिपाठी भी है।
राधेश्याम दास
राधेश्याम दास IIT बॉम्बे के पास आउट है। वे IIT मुंबई के टॉपर भी रह चुके हैं। इसके अलावा वे CECRI में सीनियर रिसर्च फेलो के रूप में तथा थर्मैक्स और मैथर एंड प्लैट कंपनियों में मैकेनिकल इंजीनियर के रूप में काम किया है। बाद में उन्होंने ब्रह्मचारी भिक्षु, युवा प्रशिक्षक और संरक्षक तथा कॉर्पोरेट सलाहकार की भूमिका निभाई। इस वक्त वे इस्कॉन पुणे के अध्यक्ष हैं।
रसनाथ दास
इस लिस्ट में रसनाथ दास जी का नाम भी शामिल है। जिन्होंने IIT बॉम्बे से बैचलर की डिग्री और कार्नेल यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। बाद में उन्होंने संन्यासी जीवन अपना लिया। इस वक्त वे वैष्णव संप्रदाय से जुड़े हुए हैं।
संकेत पारेख
संकेत पारेख भी एक ऐसा नाम है जो IIT Bombay से केमिकल इंजीनियरिंग से बैचलर और अमेरिका में काम करने के बाद अध्यात्म की ओर बढ़ गए। अमेरिका में अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ने के बाद वे एक जैन मुनि बन गए।
अविरल जैन
अविरल जैन ने भी IIT BHU से कंप्यूटर साइंस से बैचलर की डिग्री ली है। फिलहाल वे जैन भिक्षु के रूप में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जैन भिक्षु बनने के लिए उन्होंने अपना कॉर्पोरेट करियर छोड़ दिया था।