
दिल्ली अब जयपुर से ज्यादा दूर नहीं है। आईआईटी मद्रास में 422 मीटर लंबी यह सुविधा प्रमुख भारतीय शहरों के बीच परिवहन में क्रांति लाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास ने भारत के पहले हाइपरलूप परीक्षण ट्रैक का अनावरण किया है, जिसकी लंबाई 422 मीटर है। रेल मंत्रालय के सहयोग से विकसित इस अत्याधुनिक सुविधा का उद्देश्य भारत को हाई-स्पीड परिवहन के अगले युग में ले जाना है।
हाइपरलूप प्रणाली में यात्रियों को कम दबाव वाली नलियों के माध्यम से 1,000 किमी/घंटा से अधिक की गति से परिवहन करने की परिकल्पना की गई है, जिससे दिल्ली और जयपुर के बीच यात्रा का समय घटकर मात्र 30 मिनट रह जाएगा।
सहयोगी प्रयास और भविष्य की संभावनाएँ
इस परियोजना को लार्सन एंड टुब्रो (L&T) कंस्ट्रक्शन, आर्सेलर मित्तल और हिंडाल्को इंडस्ट्रीज सहित प्रमुख उद्योग खिलाड़ियों से समर्थन मिला है, जिन्होंने परीक्षण ट्रैक के निर्माण और विकास में योगदान दिया है।
भविष्य को देखते हुए, इस तकनीक का विस्तार करके चेन्नई और बेंगलुरु के बीच हाइपरलूप कॉरिडोर बनाने की महत्वाकांक्षी योजनाएँ हैं, जो संभावित रूप से 350 किलोमीटर की दूरी को केवल 15 मिनट में कवर करेगी।
भारत के परिवहन परिदृश्य का निहितार्थ
हाइपरलूप तकनीक के सफल कार्यान्वयन से भारत के परिवहन बुनियादी ढांचे में क्रांति आ सकती है, जो अल्ट्रा-फास्ट, कुशल और टिकाऊ यात्रा विकल्प प्रदान करता है।
यह प्रगति न केवल प्रमुख शहरी केंद्रों के बीच संपर्क बढ़ाने का वादा करती है, बल्कि वैश्विक मंच पर अभिनव परिवहन समाधानों के मामले में भारत को सबसे आगे रखती है।