
झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने देश में हो रहे “गृह युद्धों” के लिए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को जिम्मेदार ठहराकर विवाद खड़ा कर दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को एक याचिकाकर्ता से कहा कि उसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय और भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की आलोचना करने पर अवमानना याचिका दायर करने के लिए उसकी अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, मामले का उल्लेख न्यायमूर्ति बी आर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष किया गया। याचिकाकर्ता के वकील ने दुबे की टिप्पणियों के बारे में हाल ही में आई एक समाचार रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि वह अदालत की अनुमति से अवमानना याचिका दायर करना चाहते हैं। न्यायमूर्ति गवई ने पीटीआई के हवाले से कहा, “आप इसे दायर करें। दायर करने के लिए आपको हमारी अनुमति की आवश्यकता नहीं है।”
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को इस मामले में अटॉर्नी जनरल से मंजूरी लेनी होगी। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को लिखे अपने पत्र में अधिवक्ता अनस तनवीर ने दुबे की टिप्पणी को “बेहद अपमानजनक और खतरनाक रूप से भड़काऊ” बताया। पत्र में कहा गया है, “मैं न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 15(1)(बी) के तहत यह पत्र लिख रहा हूं, जिसे सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना के लिए कार्यवाही को विनियमित करने के नियम, 1975 के नियम 3(सी) के साथ पढ़ा गया है, ताकि झारखंड के गोड्डा संसदीय क्षेत्र से माननीय लोकसभा सदस्य श्री निशिकांत दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए आपकी विनम्रतापूर्वक सहमति मांगी जा सके, क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से ऐसे बयान दिए हैं जो बेहद निंदनीय, भ्रामक हैं और जिनका उद्देश्य भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा और अधिकार को कम करना है।”