
नेपाल पहुंचने के कुछ ही दिनों बाद रविवार को ज्ञानेंद्र की काठमांडू रैली को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार के लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक पोस्टर रविवार को काठमांडू में देश के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के स्वागत समारोह में देखे जाने के बाद नेपाल में विवाद पैदा हो गया है।
यह पोस्टर पूर्व राजा द्वारा राष्ट्र के भविष्य को ‘सुरक्षित’ करने के लिए समर्थन की पहली प्रत्यक्ष अपील के कुछ दिनों बाद आया है। इस पोस्टर ने पूर्व राजा के विरोधियों को बहुत बड़ा हथियार दे दिया।
नेपाल पहुंचने के कुछ ही दिनों बाद रविवार को ज्ञानेंद्र की काठमांडू रैली को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार के लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है, जो भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही है।
नेपाल में योगी आदित्यनाथ के पोस्टर पर विवाद क्यों?
पूर्व नरेश ज्ञानेन्द्र शाह की मेजबानी में आयोजित समारोह में योगी आदित्यनाथ के पोस्टर ने काठमांडू में विवाद खड़ा कर दिया, क्योंकि भाजपा नेता नेपाल की अपदस्थ राजशाही के समर्थक माने जाते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार , प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के समर्थकों के अनुसार, पूर्व नरेश की रैली में आदित्यनाथ का पोस्टर उनके पीछे ‘भारत का हाथ’ होने का सबूत है, जिससे सभा की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
इस बीच, सोमवार को काठमांडू में एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ओली ने आदित्यनाथ का नाम लिए बिना कहा, “हम अपनी रैलियों में विदेशी नेताओं की तस्वीरों का इस्तेमाल नहीं करते हैं।”
राजशाही समर्थक दलों ने आरोप लगाया कि यूपी के सीएम के पोस्टर “लगाए गए” थे, और इसे मौजूदा सरकार की साजिश बताया। संदेश में भारत का नाम घसीटे जाने से विवाद निश्चित रूप से एक झगड़े में बदल गया है।
रैली के आयोजकों का कहना है कि उन्होंने आदित्यनाथ की तस्वीर के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी थी। उनके अनुसार, प्रतिभागियों को केवल राष्ट्रीय ध्वज और ज्ञानेंद्र की तस्वीर का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस ने पूर्व मंत्री और राजशाही समर्थक दीपक ग्यावली के हवाले से कहा, “हम इतने कमजोर नहीं हैं कि हमें अपने जुलूस में किसी विदेशी की तस्वीर का इस्तेमाल करने की जरूरत पड़े।”
ग्यावली ने कम्युनिस्ट पार्टी कार्यालयों में मार्क्स, लेनिन, माओ आदि के चित्रों की मौजूदगी पर सवाल उठाया।
पूर्व नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र का योगी आदित्यनाथ कनेक्शन!
2008 में जब नेपाल में तत्कालीन यूपीए सरकार ने लोकतंत्र समर्थक दलों और राजा के बीच समझौता करवाया था, तब ज्ञानेंद्र को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था , उस समय इस कदम की आलोचना करने वाले एकमात्र व्यक्ति योगी आदित्यनाथ थे। वे उस समय यूपी के गोरखपुर से सांसद थे।
नेपाल के पूर्व राजपरिवार और गोरखपुर के गोरखनाथ मठ के बीच संबंध काफी गहरे हैं। योगी आदित्यनाथ वर्तमान में गोरखनाथ मठ के प्रमुख हैं।
ज्ञानेन्द्र रैली के मुख्य आयोजक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के अध्यक्ष राजेंद्र लिंगडेन ने इस संबंध की ओर इशारा किया।
लिंगडेन ने इस मुद्दे पर कहा, “हमें इसके (आदित्यनाथ के पोस्टर) बारे में नहीं पता। लेकिन हम जानते हैं और सम्मान करते हैं कि राजा ज्ञानेंद्र का गोरखनाथ मठ के साथ आस्था और सम्मान का गहरा रिश्ता है, क्योंकि माना जाता है कि शाह वंश को गुरु गोरखनाथ का आशीर्वाद प्राप्त था।”
गोरखनाथ शाह राजवंश के इष्टदेव हैं और नेपाल में राजशाही के समय भी वे इष्टदेव थे। गोरखनाथ मठ प्रमुख लंबे समय से नेपाल के मठों और मंदिरों में जाते रहे हैं।